दोस्तों, आमतौर पर हिंदुओं के लिए साल के दो बड़े त्यौहार बड़े विशेष माने जाते हैं पहली होली और दूसरा दिवाली।
लेकिन इन दोनों त्योहारों के अलावा छठ पूजा भी एक ऐसा व्रत है जिसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
छठ को बिहारियों का महापर्व कहा जाता है। इसकी शुरुआत बिहार झारखंड जैसे राज्यों से हुई थी। और आज यह पूरे भारत का महापर्व बन चुका है।
सभी त्योहारों की तरह छठ पूजा मनाने के पीछे भी कुछ पौराणिक मान्यताएं हैं।
छठ पूजा को लेकर पौराणिक मान्यताएं
कहा जाता है कि महाभारत के वीर योद्धा कर्ण जो सूर्यपुत्र भी थे, वे सूर्य देवता की आराधना करते हुए और उनसे शक्ति प्राप्त करने के लिए लंबे समय तक जल में खड़े रहा करते थे और जल से ही उनका अर्घ्य भी देते थे। और तभी से सूर्य देवता की पूजा की यह विधि प्रसिद्ध हुई।
द्रौपदी ने भी अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए , षष्टी के दिन इस व्रत का विधि से पालन किया था, और उसकी मनोकामना पूर्ण हुई थी। तभी से यह व्रत छठी के रूप में भी जाना जाता है।
4 दिनों तक चलती है छठ पूजा
4 दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व का पहला दिन नहाए खाए होता है, दूसरे दिन खरना ,तीसरे दिन संध्या अर्ग और चौथे दिन उषा अर्ग देखकर भगवान सूर्य नारायण की पूजा की जाती है।
महिलाएं छठ का व्रत करके संतान प्राप्ति की कामना, संतान की कुशलता, सुख-समृद्धि और उसकी दीर्घायु के लिए छठ मईया से प्रार्थना करती है।
छठ पूजा का व्रत करने वाली महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला व्रत रहती है। घर में तरह-तरह के पकवान ठेकुआ इत्यादि बनाया जाता है। ढेर सारे फल खरीदे जाते है।संध्या अर्ग के दिन छठ मैया की वेदी का निर्माण किसी पानी वाले स्थान अथवा घाट के किनारे किया जाता है।
वहां पर गन्ने से वेदी का मंडप बनाया जाता है ,उस पर चने और चावल इत्यादि चढ़ाए जाते हैं। और उस स्थान पर दिया जलाकर महिलाएं सूप या आंचल में कुछ फल और ठेकुआ लेकर जल में खड़ी होती हैं, और जब सूर्य देवता डूबने लगते हैं तो उनका अर्ग देकर पूजा करती है।
उसके बाद अगले दिन उषा अर्ग के के समय भोर होने से पहले ही महिलाएं जल में जाकर खड़ी हो जाती हैं और कब तक बाहर नहीं आते हैं जब तक सूर्य देवता का उदय नहीं होता है।
जब उषा अर्ग के दिन सूर्य देवता का उदय होता है तो व्रत करने वाली महिलाएं अर्ग देकर व्रत का समापन करती हैं।
छठ पूजा 2023
2023 की छठ पूजा की शुरुआत 17 नवंबर से हो रही है। और इसका समापन 20 नवंबर को उषा अर्ग देने के साथ होगा।
दिन | पर्व | दिनांक | तिथि | कार्य |
छठ पूजा का पहला दिन | नहाए -खाय | 17 नवंबर, दिन शुक्रवार | सूर्योदय: 06:45 बजे सूर्यास्त : 05:27 बजे | व्रती महिलाएं इस दिन नहा- धोकर मीठा भोजन करती है। |
छठ पूजा का दूसरा दिन | खरना | 18 नवंबर, दिन शनिवार | सूर्योदय : 06 बजकर 46 मिनट
सूर्यास्त :05 बजकर 26 मिनट |
इस दिन महिलाएं चूल्हे पर गुड़ की खीर बनाते हैं और वही खाकर अगले दिन व्रत रखती है। |
छठ पूजा का तीसरा दिन | संध्या अर्घ्य | 19 नवंबर, दिन रविवार | सूर्यास्त शाम 05 बजकर 26 मिनट | घाट पर जाकर संध्या अर्घ्य और पूजा |
छठ पूजा का चौथा दिन | उषा अर्घ्य | 20 नवंबर, दिन सोमवार | सूर्योदय: 06 बजकर 47 मिनट | घाट पर जाकर उषा काल अर्घ्य और पूजा |
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